परम सत्य ज्ञान कैसे प्राप्त कर सकते है? परम सत्य ज्ञान क्या है?
परम सत्य ज्ञान को प्राप्त करने के लिए आपको ध्यान करना चाहिए, क्योकि मैंने अपने अनुभव में पाया है, की परम सत्य ज्ञान को आपको जानने के लिए ध्यान से बेहतर कोई भी बेहतर रास्ता सायद ही होगा।
क्योकि आप जब तक परम सत्य ज्ञान को प्राप्त नही करेंगे तब तक आप अपने जीवन में अध्यात्मिक उन्नति सायद ही कर पाएंगे। और उसी परम सत्य ज्ञान को जानना बहुत ही जरूरी है, जिससे आप अपनी जिंदगी को बदल पाएंगे और अपनी जिंदगी में इंकलाब ला पाएंगे। मेरे अनुभव से मैंने जान है, कि परम सत्य ज्ञान को प्राप्त आप ध्यान से कर सकते है।
ध्यान से कैसे जाने परम सत्य ज्ञान को।
ध्यान से हम परम सत्य ज्ञान को अवस्य ही जान सकते है, क्योकि ध्यान आत्मा को परमात्मा मे मिला देने का परम साधन है, यदि हम ध्यान का प्रयोग अपने जीवन में करेंगे तो हम परम सत्य को ज्ञान को प्राप्त कर सकते है।
ध्यान से ही मनुष्य को इस परम सत्य का ज्ञान होता है, की मनुष्य का पहला और अंतिम उद्देश्य सिर्फ मोक्ष प्राप्त करना है, लेकिन जो व्यक्ति ध्यान को नही जानता है, वह कभी भी इस परम सत्य ज्ञान को प्राप्त नही कर पाता है, और संसार में सांसारिक सुख दुख भोगता रहता है।
जो ध्यान को नही जानता वह मनुष्य परम सत्य ज्ञान को कभी भी प्राप्त नही कर पाता है, वह अपने लक्ष्य को जान पाता है, कि उसका पहला और अंतिम उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है।
लेकिन जो मनुष्य इस परम सत्य ज्ञान को प्राप्त नही कर पाता है, वह समाज के द्वारा बनाये गए,जाल में फंस कर रह जाता है, अमीर बनना, बढ़ा घर, बड़ी गाड़ी, बड़े आदमी यही सब आपकआपके समाज को आप देख कर आप अपना लक्ष्य तय करते है।
जबकि यह आपका लक्ष्य है, ही नही आपका लक्ष्य अमीर बनना नही है, आपका अपना लक्ष्य सिर्फ मोक्ष को प्राप्त करना है, और यदि आप संसार मे फँसे तो आप कभी निकल नही पावगे।
इसीलिए संसार के जाल में मत फशो यार, अपना रास्ता खोजो, जो की आपको रास्ता ध्यान से प्राप्त होगा, क्योकि ध्यान से ही आपको अपने परम सत्य परम लक्ष्य को आप प्राप्त कर पाएंगे।
क्योकि आप संसार(समाज) के अनुसार बनाये गए लक्ष्य को आप अपना लक्ष्य मानते है, इसी कारण आप समझ नही पाते है ब, कि परम सत्य ज्ञान क्या है, उसको यदि आप परम सत्य ज्ञान को जानना चाहते है, तो ध्यान अवस्य ही करें।
परम सत्य ज्ञान किस प्रकार से प्राप्त होता है?
जब आप यह जान जाते है, की आपका मनुष्य जीवन का प्रथम और अंतिम उद्देश्य सिर्फ मोक्ष प्राप्त करना है, करके फिर आप ध्यान करते है, आप लगातार ध्यान करते है।
फिर आप ध्यान के गहराइयों में प्रवेश करने लगते है, जिसके कारण आप इन गहराई में जाने से आपको धीरे धीरे परम सत्य का ज्ञान होने लगता है।
आपका ध्यान जितना गहरा होगा आप उतना ही ज्यादा समझदार या आपकी समझ हाई लेवल की हो जाती है, जिसके कारण आप सभी चीजो को बहुत ही आसानी से समझ पाते है।
या किसी भी गहरे प्रकृति के रहस्य को समझ जाते है, जिससे कारण प्रकृति अपना सब राज आपके सामने खोलने लगती है।यह बात हर कोई नही समझ पायेगा, यदि इन बातों को समझ पा रहा है, तो वह इंसान बहुत ही ज्ञानी है।
इस प्रकार से मनुष्य अपने जीवन में ध्यान द्वारा परम सत्य ज्ञान को प्राप्त कर सकता है, ये आप किसी गुरु कि बात को कटरता से ना माने अपना प्रयोग करें, अपना रास्ता स्वयम खोजे, बस ध्यान करें, धीरे धीरे आपको रास्ता दिखने लगेगा।
ये मेरा गहरा अनुभव है , आप भी यह प्रयोग अवस्य ही करें ब, तभी आप अपने जीवन में आसानी से सफल हो सकते है, इस ध्यान के प्रयोग में। मेरी बातों को माने ना प्रयोग करें तभी आप भी अपने जीवन अनुभव करें फिर विश्वाश करें।
और अपने आप आपको विचार से निर्विचार की ओर ले जाए, जिससे आप एक दिन अवस्य ही सफल होंगे, इस परम ज्ञान के प्राप्ति के रास्ते में।
निष्कर्ष:-
यदि आप इस परम सत्य ज्ञान को जान पाए तो, आप अपने जीवन में बुद्ध जैसे क्रांति भी ला सकते है, बस अपने जीवन मे बेहतर ज्ञान आपके जीवन में आयेगा कहा से।
जब आप ज्ञान का विकास करते रहेंगे तब आप ध्यान को जान पाएंगे, और ध्यान से आप परम सत्य ज्ञान(मोक्ष) को जान पाएंगे , जिसके बाद आप गहरे ध्यान में जाने के बाद आप गहरा सत्य ज्ञान को आप प्राप्त कर पाएंगे।
आपको यह परम सत्य ज्ञान को जानना बहुत ही, जरूरी है, की मनुष्य जन्म का प्रथम और अंतिम उद्देश्य सिर्फ मोक्ष प्राप्त करना है। इसका मतलब ये नही की आप काम ना करें, आपको काम करना है, कमाएंगे नही तो खायेंगे क्या यार।
यह सूत्र आपके जीवन में अवस्य ही क्रांति ला सकती है, यदि यह सूत्र का प्रयोग अपने जिंदगी में किये तो।
4 faq प्रश्न उत्तर।
1. ध्यान कैसे करें, जिससे हमारे जिंदगी में क्रांति हो, और हम अपने जीवन मे क्रांति ला पाए?
2. कैसे हम अपने जीवन में ध्यान से ज्ञान प्राप्त कर सकते है?
3. क्या पूर्वजंम का हमारे अध्यात्म जिंदगी मे प्रभाव पड़ता है?
4. कैसे हम किसी भी नशा को हम ध्यान से छोड़ सकते है?
मेरी बातों को इतना ध्यान से पढे मै बहुत ही अनुगृहीत हूँ, मै आपके भीतर बैठे परम पिता परमात्मा को सादर प्रणाम करता हूँ । मेरा प्रणाम स्वीकार करें lधन्यवाद ।
Comment करके अपना प्रेम मुझ तक जरूर भेजे l share करे जिससे सब लोग अपनी जिंदगी बदल सके यार।