बुधवार, फ़रवरी 19, 2025
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चेतना को कैसे उपर उठाये?नाभि पर ध्यान लगा के कैसे अपने चेतना को उपर उठाये? Hindime.

चेतना को कैसे उपर उठाये?नाभि पर ध्यान लगा के कैसे अपने चेतना को उपर उठाये? Hindime.

बैठो, ध्यान नाभि पर रखो।

उठो, ध्यान नाभि पर रखो।

कुछ भी करो, लेकिन तुम्हारी चेतना नाभि के आस-पास घूमती रहे। एक मछली बन जाओ और नाभि के आस-पास घूमते रहो। और शीघ्र ही तुम पाओगे कि तुम्हारे भीतर एक नई शक्तिशाली चेतना का जन्म हो गया।

इसके अदभुत परिणाम हैं।

और इसके बहुत प्रयोग हैं। आप यहां एक कुर्सी पर बैठे हुए हैं। लाओत्से कहता है कि आपके कुर्सी पर बैठने का ढंग गलत है। इसीलिए आप थक जाते हैं। लाओत्से कहता है, कुर्सी पर मत बैठो। इसका यह मतलब नहीं कि कुर्सी पर मत बैठो, नीचे बैठ जाओ। लाओत्से कहता है, कुर्सी पर बैठो, लेकिन कुर्सी पर वजन मत डालो। वजन अपनी नाभि पर डालो।

चेतना

अभी आप यहीं प्रयोग करके देख सकते हैं। एम्फेसिस का फर्क है। जब आप कुर्सी पर वजन डाल कर बैठते हैं, तो कुर्सी सब कुछ हो जाती है, आप सिर्फ लटके रह जाते हैं कुर्सी पर, जैसे एक खूंटी पर कोट लटका हो। खूंटी टूट जाए, कोट तत्काल जमीन पर गिर जाए। कोट की अपनी कोई केंद्रीयता नहीं है, खूंटी केंद्र है। आप कुर्सी पर बैठते हैं – लटके हुए कोट की तरह।

लाओत्से कहता है, आप थक जाएंगे। क्योंकि आप चैतन्य मनुष्य का व्यवहार नहीं कर रहे हैं और एक जड़ वस्तु को सब कुछ सौंपे दे रहे हैं। लाओत्से कहता है, कुर्सी पर बैठो जरूर, लेकिन फिर भी अपनी नाभि में ही समाए रहो। सब कुछ नाभि पर टांग दो। और घंटों बीत जाएंगे और आप नहीं थकोगे।

अगर कोई व्यक्ति अपनी नाभि के केंद्र पर टांग कर जीने लगे अपनी चेतना को, तो थकान – मानसिक थकान – विलीन हो जाएगी। एक अनूठा ताजापन उसके भीतर सतत प्रवाहित रहने लगेगा। एक शीतलता उसके भीतर दौड़ती रहेगी। और एक आत्मविश्वास, जो सिर्फ उसी को होता है जिसके पास केंद्र होता है, उसे मिल जाएगा।

तो पहली तो इस साधना की व्यवस्था है कि अपने केंद्र को खोज लें। और जब तक नाभि के करीब केंद्र न आ जाए – ठीक जगह नाभि से दो इंच नीचे, ठीक नाभि भी नहीं – नाभि से दो इंच नीचे जब तक केंद्र न आ जाए, तब तक तलाश जारी रखें। और फिर इस केंद्र को स्मरण रखने लगें। श्वास लें तो यही केंद्र ऊपर उठे, श्वास छोड़ें तो यही केंद्र नीचे गिरे। तब एक सतत जप शुरू हो जाता है – सतत जप। श्वास के जाते ही नाभि का उठना, श्वास के लौटते ही नाभि का गिरना – अगर इसका आप स्मरण रख सकें…।

कठिन है शुरू में। क्योंकि स्मरण सबसे कठिन बात है। और सतत स्मरण बड़ी कठिन बात है। आमतौर से हम सोचते हैं कि नहीं, ऐसी क्या बात है? मैं एक आदमी का नाम छह साल तक याद रख सकता हूं।

यह स्मरण नहीं है; यह स्मृति है। इसका फर्क समझ लें। स्मृति का मतलब होता है, आपको एक बात मालूम है, वह आपने स्मृति के रेकार्डींग को दे दी। स्मृति ने उसे रख ली। आपको जब जरूरत पड़ेगी, आप फिर रिकार्ड से निकाल लेंगे और पहचान लेंगे। स्मरण का अर्थ है: सतत, कांसटेंट रिमेंबरिंग।

इस प्रकार से हम अपने नाभि पर प्रयोग करके हम अपने चेतना को एक विशेष स्थिति तक ले जा सकते है, जिससे मनुष्य अपने जीवन में इंकलाब ला सके और अपने जिंदगी को बदल सके। अपनी चेतना पर हम इस प्रकार से प्रयोग करके हम बहुत ही आसानी से जीवन को समझ सकते है, जिससे हम अपने जीवन में बेहतर treeka से अपने चेतना को हम जागृत करके  अपना अध्यात्मिक विकास कर सकते है, और अपने जीवन को मोक्ष की ओर ले जा सकते है।

 

यदि हमे मोक्ष प्राप्त करना है, तो हमे यह प्रयोग अपने चेतना को उपर उठाने के लिए अवस्य ही करना चाहिए, तभी हम अपने जीवन में ज्यादा सफल हो पाएंगे और अपने जिंदगी को बदल पाएंगे ।

ध्यान द्वारा भी आप अपने चेतना को उपर उठा सकते है, यह मेरा भी प्रयोग है, आप भी यह प्रयोग करके अवस्य ही ,अपने चेतना को उपर की ओर उठाये। और अपने जीवन में अवस्य ही privarttn अवस्य ही लाये।

इस प्रयोग को बड़े ही ईमानदारी के साथ करें, तभी आप अपने जीवन मे आप बहुत ज्यादा सफल होकर अपने जीवन को आप बदल पाएंगे। क्योकि यह प्रयोग जीवन को बदल देने वाला है। यह प्रयोग करें आप भी तभी आप भी जान पाएंगे। जाने तभी मानो यार।

निष्कर्ष:- 

यदि हम नाभि का यह  प्रयोग अपने जीवन में  करेंगे तो हम एक दिन अवस्य ही अपने जीवन में चेतना को हम उपर उठा पाएंगे, और अपने जिंदगी में हम सफल हो पाएंगे, और अपने जीवन को अवस्य बदल पावगे।

यह प्रयोग आप अवस्य ही करें, अपने जिंदगी मे चेतना को उपर उठाकर अपने मोक्ष तक जाने के लिए, अपने आत्मा को परमात्मा में  मिलाने के लिए अपना यह प्रयोग अवस्य ही करें, तभी आप अपने जीवन में आप मोक्ष की ओर बहुत ही आसानी से जा सकते है । jai हिंद।

4 faq प्रश्न उत्तर। 

1. कैसे हम अपने जिंदगी बहुत ज्यादा विकास कर सकते है अध्यात्म में।

Ans. अध्यात्म से आप क्या समझते हैं?अध्यात्म का हमारे जीवन में क्या महत्व है ?क्या अध्यात्म मोक्ष का प्रवेश द्वार है? Hindime.

2. कैसे हम ध्यान करके अपना मोक्ष का रास्ता तय कर सकते है?

Ans. ध्यान करने से क्या फायदा होता है? ध्यान कैसे करे? ध्यान करने के महत्वपूर्ण 7 टिप्स और ध्यान करने के 14 पॉवरफुल लाभ को जानिए। Hindime

3. क्या पूवर्जंम का भी हमारे सफलता में प्रभाव पड़ता है?

Ans.मनुष्य अपने जीवन में सफल कैसे होता है? सफलता का मूल मंत्र क्या है ? 7 रहस्य से जाने कि मनुष्य के सफलता में  कैसे पूर्वजंम प्रभाव डालता है?hindime 

4. कैसे हम अपने जीवन में बहुत ज्यादा सफलता को प्राप्त कर सकते है।

Ans. अवचेतन मन तक अपनी बात को कैसे भेजे ?अवचेतन मन की शक्ति को कैसे बढ़ाएं? जानिए 6 बहुत ही महत्वपूर्ण रहस्य जिनसे अवचेतन मन द्वारा सफलता प्राप्त कर सकते है ।hindime  

मेरी बातों को इतना ध्यान से पढे मै बहुत ही अनुगृहीत हूँ, मै आपके भीतर बैठे परम पिता परमात्मा  को सादर प्रणाम करता हूँ । मेरा प्रणाम स्वीकार करें lधन्यवाद ।

 

Comment करके अपना प्रेम मुझ तक जरूर भेजे l share करे जिससे सब लोग अपनी जिंदगी बदल सके यार।

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I'm Ritesh kumar. I'm philosopher, I'm international business man,
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