मन को साधने का मंत्र क्या है? कैसे हम अपने मन को साध सकते है?
मन को साधने का मंत्र हम सभी स्वयं में पूर्ण शक्तिमान हैं, किंतु हमसे भी अधिक शक्तिशाली है हमारा मन । जीवन ऊर्जा से भरपूर सूर्य की किरणें विशेष यंत्र की सहायता से किसी वस्तु पर स्थिर की जाएं तो वे उसे जला देती हैं। जल और वाष्प किसी इंजन द्वारा केंद्रित कर हजारों टन वजन की ट्रेन को खींच सकते हैं।
इन सभी की खोज करने वाले हमारे मन में अनंत एवं अपार शक्ति है। अगर उस शक्ति को एकाग्र और केंद्रित कर लिया जाए तो हम अपने सभी अभीष्ट पा सकते हैं। मन अगर बिखरा हुआ है तो वर्तमान और भविष्य दोनों बिखेर देता है। मन रूपी यंत्र का उपयोग दो तरफ से होता है। मन कोई समस्या उत्पन्न करता है तो समाधान भी सुझाता है। समस्या मन नहीं उसके उपयोग की क्षमता है।
मन सदैव गतिमान रहता है और उसकी गति को नियंत्रित करना सतत साधना द्वारा ही संभव हो सकता है। जल में उठती हुई लहरों में हम अपनी छाया नहीं देख सकते।
उसी प्रकार मन रूपी सरोवर में भी अगर क्रोध, लोभ, अहंकार और माया आदि विकारों के कंकड़ों द्वारा हलचल मचती तो हम भी आत्मा के स्वरूप का प्रतिबिंब नहीं देख सकेंगे। तन की शुद्धि और सजाने-संवारने में हमारा बहुत ध्यान रहता है, लेकिन मन की निर्मलता की ओर हम बहुत कम सोंचते हैं।
स्मरण रहे कि हमारा मित्र है, कोई शत्रु नहीं। यदि हम शत्रु मान लेंगे तो उसकी क्षमता का उपयोग कैसे करेंगे? इसीलिए को मारना नहीं, अपितु इसे साधना चाहिए। यदि हम को साध लेंगे तो सदैव सुख एवं शांति पाएंगे। मन को मारना तो मानो स्वयं पर घात करना है।
माध्यम से जैसा चिंतन करेंगे, वैसा ही. परिणाम सामने आता है। इसे जब बाहरी चिंतन में लगाते हैं तो संसार में उलझ जाते हैं और यह आत्म-चिंतन में लग जाए तो निरंतर जागृति एवं पूर्ण अभ्यास से हमें मानव से महामानव बना देता है। पवित्र बन कर मन हमारे जीवन को सार्थक बनाता है और हमें मोक्ष की ओर उन्मुख करता है।
मन को इस प्रकार से हम नियंत्रण करके अपने किसी भी सोच के प्रति विश्वास पैदा करके अपने बात को आसानी से अवचेतन में पहुँच सकते है, जिससे हमारा अवचेतन हमसे उस छेत्र में काम करवा के आपको सफलता दिलाती है। इस प्रकार से हम अपने को साध कर सफलता प्राप्त कर सकते है, और अपने जिंदगी में हमेशा सफल हो सकते है।
ध्यान द्वारा मन को साधना या ध्यान द्वारा मन को कंट्रोल करना।
ध्यान द्वारा हम अपने मन को कंट्रोल कर सकते है, जिससे हम अपना विकास बेहतर तरीका से करके अपने को आप कंट्रोल कर सकते है।
यदि आप अपने को कंट्रोल करना सिख गए तो बहुत ही जल्दी आप अपने आप को कंट्रोल कर पाएंगे और आप अपने जिंदगी मे आप सफल हो पाएंगे। इस प्रकार से यह प्रयोग करके हम अवस्य ही ध्यान द्वारा अपने को कंट्रोल कर सकते है।
आप ध्यान को भी तभी सही तरह से जान पाएंगे, जब ध्यान का प्रयोग करेंगे तभी, नही आप कितना भी ज्ञान रहे, ध्यान को आप बिना प्रयोग के आप सही तरीका से नही जान पाएंगे। क्योकि ज्ञान ध्यान से आता है, और ध्यान ज्ञान से ही आता है।
जिस व्यक्ति ने अपने मन को साध लिया वह व्यक्ति अपने किसो भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, जिन जिन लोगों ने अध्यात्म के शिखर को प्राप्त किया है, सभी ने अपने को कंट्रोल करके ही, मोक्ष या केवलय या parinirvann को प्राप्त किये है, यदि आप अपने आप भी कंट्रोल कर लेते है, तो आप भी अध्यात्म के उच्च शिखर को आप भी पहुँच सकते है।
क्योकि जब आपका कंट्रोल हो जाता है, फिर आप अलग ही व्यक्तित्व बन जाते है, और समाज को एक अलग ही( न्यू way) रास्ता बुद्ध, mahaveer की तरह दिखाते है। और संसार के लोगों को नया मोक्ष प्राप्त करने का रास्ता बताते है।
आपके कारण संसार के बहुत से अंधविश्वास समाज से आपके प्रवचन को सुनकर लोग जान जाते है, और अपने जिंदगी में बदलाव लाते है। इस प्रकार से आप मन को कंट्रोल करके अपने समाज को आगे ले जा सकते है, या अपने जीवन में उन्नति कर सकते है।
निष्कर्ष:-
यदि हम अपने मन को कंट्रोल कर लिए तो हम संसार में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते है, एक अच्छे scientist, एक अच्छे pilosopher आप बन सकते है, और करोडो लोगों की जिंदगी बदल सकते है, निकोला टेस्ला जैसे वैज्ञानिक बनके ac current ke द्वारा दुनिया को आप रोशन कर सकते है।
इस प्रकार से हम अपनेको कंट्रोल करके आज के बुद्ध, महावीर, gurunank, योगी बन सकते और संसार को हम एक नया मोक्ष का रास्ता दिखा सकते है, जिससे सबके जिंदगी में आप बदलाव ला सकते है। इस प्रकार से हम अपने को कंट्रोल करके संसार को भी हम बदल सकते है।
4 faq प्रश्न उत्तर।
1. कैसे हम अपने जीवन भावनात्मक सोच कर अपने जीवन में बदलाव ला सकते है?
Ans. भावना शब्द का अर्थ क्या है?भावना का विकास करके कैसे अपने जिन्दगी में सफल हो? Hindime.
2. कितना समय तक ध्यान करना चाहिए अध्यात्म के द्वार मे प्रवेश करने के लिए?
3. ध्यान कैसे करना चाहिए, अध्यात्म के द्वार मे प्रवेश करने के लिए?
4. हम अपने समझ को कैसे वर्ल्ड लेवल तक बढ़ा सकते है?
मेरी बातों को इतना ध्यान से पढे मै बहुत ही अनुगृहीत हूँ, मै आपके भीतर बैठे परम पिता परमात्मा को सादर प्रणाम करता हूँ । मेरा प्रणाम स्वीकार करें lधन्यवाद ।
Comment करके अपना प्रेम मुझ तक जरूर भेजे l share करे जिससे सब लोग अपनी जिंदगी बदल सके यार।