विष्णुपुराण कहता है, की शिव जी और ब्रम्हा जी को विष्णु जी ने बनाया है, ऐसा विष्णु जी भक्त बोलते है। ऐसा विष्णु god जी भक्त बहुत ही प्रेम और परम भक्ति से ये मानते है, और अपनी पूर्ण श्रद्धा इस प्रकार से रखते है, और इस प्रकार से सभी विष्णु भक्त अपना अपार श्रद्धा और विश्वास अपने ईश्वर के प्रति बताते है।
जबकि शिवपुराणा के अनुसार ब्रम्ह जी को और विष्णु जी को शिव जी ने बनाया है, ऐसा माना जाता है, और शिव भक्त ऐसा मानते है। शिव जी के भक्त बहुत ही उदार होते है, और इतना कट्टर नही होते है, शिव के भक्त शिव जी जैसे ही होते है, सब में ये खुश होते है, और अपनी अपार श्रद्धा और विश्वास दिखाते हुए, सृष्टि को बनाने वाला शिव जी को ही समझते है।
उसी प्रकार से माता शक्ति (दुर्गा माता) को पूजने वाले मानते है, कि सब चीज माता से ही बनी है, उसी से सुरुवात है , और उसी में अंत है, ऐसा दुर्गा माता के भक्तो का मानना है । इस प्रकार से माता के भक्त अपना प्रेम भगवान के प्रति समर्पित करते है।
शिव जी स्पस्टिकरणं ऐसा हो सकता है।
सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग ये चारो युग मिलकर एक कल्प का निर्माण करते है, ये चारो युग जब एक साथ में जितना समय होता है, वह एक कल्प होता है, एक कल्प मतलब सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग सब मिलते है , तब उसे एक कल्प कहते है।
ऐसा हो सकता है की जब किसी कल्प का विनाश हुआ फिर एक नये कल्प (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग) को माता दुर्गा ने संसार की रचना की हो। या माता ने इस नये कल्प कि रचना सृस्टी का सृजन माता दुर्गा ने किया हो। अतः माता शक्ति ने ही ब्रम्ह जी, विष्णु जी, महेश जी को बनाया हो।
उसके बाद इस कल्प के अंत के बाद नये कल्प का (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग) का सृजन शिव जी के द्वारा किया गया हो, अतः इस कल्प शिव जी ने ही विष्णु जी, ब्रम्ह जी को अस्तित्व में लाये होंगे। ऐसा ही हो सकता है, तभी इतना सारे मत है, नही तो इतना सारे मत क्यों आते और वह भी भगवान के लिए।
उसके बाद शिव के सृजन वाले कल्प के अंत के बाद एक नया कल्प( सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग) और बना होगा जिसमे विष्णु जी ने शिब जी और ब्रम्ह जी को अस्तित्व मे लाये होंगे , फिर इसके बाद सृष्टि का सृजन हुआ होगा।
इस प्रकार से हम बात को समझने की कोशिश करे, तो हमको समझ आता है, की ऐसा हो सकता है, हमारी मान्यता तो कुछ भी हो सकती है, यार लेकिन सब चीज अंत में एक ही है, और एक ही हो जाना है, क्योंकि मै तु है, और तु मै है।
ये बात हमको समझना होगा तभी हम शिव जी बड़े या विष्णु या शक्ति बड़े के चक्कर में नही फसेंगे, तभी आप समझ कर एक बेहतर समाज का निर्माण हम कर सकते है, सब एक ही है, बस खेलते है, हमसे हमारे कर्म के अनुसार और कुछ नही है। क्योंकि सब एक ही है।
सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग क्या है।
सतयुग:-
वह समय है, जब पृथ्वी पर देवी देवता लोग रहते थे, उस समय को सतयुग कहते है।
इसी समय समुद्र मंथन वगेरा हुआ है, इंद्र देव का समय यही है, इस समय सब देवी देवता लोग ही रहते है।
चोरी इस समय भी होता था, तभी तो ये ये संत जन लोग चोरी मत करो करके उपदेश क्यो देते थे। और किस व्यक्ति को देते थे।
त्रेतायुग :-
इस युग मे संसार में राम भगवान का पृथ्वी पर जन्म हुआ था, और संसार मे कैसे जिये इसकी शिक्षा देकर सरयू नही अंतरधिन हो गए।
त्रेतायुग भगवान राम पर समर्पित है, इस प्रकार से राम जी मनुष्य जीवन 14 वर्ष तक वनवास रहकर संसार को बेहतर बनाना और सबको बहुत त्याग और मेहनत करने की शिक्षा दी तभी आप महान राज (अमीर व्यक्ति) बन सकते है।
द्वापर युग :-
यह वह समय है, जिसमे कृष्णा जी जन्म पृथ्वी पर हुआ था, और संसार को गीता उपदेश देकर भगवान जी ने इस युग को महान बना दिया।
कलयुग :-
ये अभी चल रहा है, यही कलयुग है, ऐसा लगता है, हो भी सकता है, नही भी हो सकता है। यही कलयुग होगा।
निष्कर्ष :-
इस प्रकार से हम शिब जी ने संसार को बनाया है, या माता शक्ति ने या विष्णु जी ने संसार का सृजन किया है, इस बात को हम समझ सकते है, यह एक सम्भावना है, सत्य तो एक ही है यार, जिसे अत्मज्ञानि व्यक्ति ही जाना है, हर व्यक्ति इस सत्य को नही जान सकता है।
इस प्रकार से यह अलग अलग कल्प कभी शिव जी, कभी विष्णु जी, कभी शक्ति जी के द्वारा सृजन किया गया हो, ऐसा होने को संभावना है। या ऐसा भी हो सकता है। बात बहुत ही गहरी है, लेकिन सच तो एक ही यार।
4 faq प्रश्न उत्तर।
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मेरी बातों को इतना ध्यान से पढे मै बहुत ही अनुगृहीत हूँ, मै आपके भीतर बैठे परम पिता परमात्मा को सादर प्रणाम करता हूँ। मेरा प्रणाम स्वीकार करें । धन्यवाद ।
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