स्वर्ग नर्क अवस्य ही होता है, लेकिन ये स्वर्ग नर्क आपके द्वारा बनाया गया मन कि एक विशेष स्थिति है,
जिसे आपको समझना होगा तभी आप अपने जीवन में हमेशा सुख रह सकते हो। इन पोंगा पंडितों के चक्कर में मत रहना नही तो ये लोग आपको गुमराह में डाल देंगे।
स्वर्ग और नर्क मनुष्य कि केवल मन की स्थिति होती है, ऐसा नही है की असमान मे कही स्वर्ग और नर्क है, ऐसा नही है। यदि स्वर्ग या नर्क होता तो मनुष्य जिस तरह आज सुरज -चाँद तक जाता है, वैसे ही स्वर्ग और नर्क में भी अवस्य भी पहुँच जाता।
नर्क और स्वर्ग केवल मानव मन की एक विशेष स्थिति है, जिसे हम एक उदाहरण से आसानी से समझ सकते है।
उदाहरण – दो सन्यासी एक कुटिया में रहते थे, और अपना जप तप उसी के पास करते थे। एक दिन बहुत ही तेज आँधी चली तो उनके कुटिया का उपर का आधा छपर् उडा के ले गया, जिसे देखकर सन्यासी को बहुत दुख हुआ और भगवान को कोसने लगा की भगवान यही हमारा जप तप का परिणाम है, की एक रहने के लिए कुटिया बनाया था, उसको भी तूने आधा उडा कर ले गया। ये कहकर यह सन्यासी बहुत ही दुख था।
वही दूसरा सन्यासी बड़ा ही आनंद से भर गया और बोल हे परमात्मा तेरा बहुत ही धन्यवाद की तूने आधा छपर् को बचा के रखा, ये आंधी – तूफान का क्या भरोसा था, ये तो पूरी कुटिया को ही उडा ले जाता, लेकिन आधा ही कुटिया को उडा पाया, क्योकि आप ही ने इस आंधी को रोका होगा ,तभी इस आंधी ने आधा छपर् को ही उडा सका।
इस प्रकार एक सन्यासी दुख के कारण भरा होकर रात में ढंग से सो नही सका, जबकि दूसरा परमात्मा को सादर धन्यवाद करते हुवे सो गया।
इसे आप गहराई से समझे तब समझ आता है, कि एक व्यक्ति इतना दुख आ जाने पर भी खुश है, और परमात्मा को धन्यवाद दे रहा है, अतः यह मन स्थिति वाला मानव स्वर्ग मे ही है। जबकि दूसरा मनुष्य जो थोड़ा दुख आने पर दुखी हो गया , इस मन स्थिति का मनुष्य नर्क में ही है।
अपने चारों ओर को देखना तो आपको बात समझ में आने लगेगा , कोई व्यक्ति 100 रुपया कमाकर कर भी खुश है, और भगवान को धन्यवाद दे रहा है, की हे भगवान तूने आज मुझे 100 रुपया का काम दिया या 100 रुपया दिया तेरा धन्यवाद बोल रहा है , और बहुत खुश है जबकि दूसरा आदमी करोड़ो रुपया एक दिन कमा रहा है फिर भी खुश नही है, और भगवान से बोल रहा है की भगवान 1 करोड़ और आज कमा लेता तो ठीक रहता।
मैंने अपने प्रयोगों और ध्यान से पाया है , की मनुष्य को ऐसी मन स्थिति ध्यान करने से प्राप्त होता है, जिसमे मनुष्य में ना दुख में ना दुख होता है, ना सुख में सुख होता है। यदि आपको हमेशा स्वर्ग में रहना है, तो आपको अत्मज्ञानि होना पड़ेगा तभी आप उस मनः स्थिति को प्राप्त कर सकते है। और आप तभी स्वर्ग मे प्रवेश पा सकेंगे, नही तो मुझे नहीं लगता की आप अपने आप को कभी स्वर्ग में आप ले जा सकोगे।
अब आप खुद समझिये की नर्क और स्वर्ग है, या ये मानव मन की ये सिर्फ स्थिति है। और कुछ नही।
4 faq प्रश्न उत्तर।
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- ans. दुख का सबसे बड़ा कारण क्या है?संसार में दुख का मूल कारण क्या है ? क्या मनुष्य अपने दुख का कारण स्वयम है। Hindime
- 2. क्या मनुष्य का पुनर्जन्म होता है , और पूर्व के कर्म कैसे मानव के सफलता में योगदान देते है?
- ans. Apke saflta pr kya purvjanm ka prabhav hota hai
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- ans. समझने की शक्ति को कैसे बढ़ाएं?सोचने और समझने की शक्ति को कैसे बढ़ाए?
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- ans. ब्रंहमूहरत का महत्व क्या है?ब्रह्म मुहूर्त में उठने से क्या मिलता है? 6 फायदे जिससे आप ब्रंहमूहरत का उपयोग करके सफल हो सकते है। Hindime
मेरी बातों को इतना ध्यान से पढे मै बहुत ही अनुगृहीत हूँ, मै आपके भीतर बैठे परम पिता परमात्मा को सादर प्रणाम करता हूँ । मेरा प्रणाम स्वीकार करें lधन्यवाद ।
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