हमारे भारत देश में ज्यादतर लोग चंदन लगाते है, लेकिन ये बहुत ही कम लोग जानते है,
कि चंदन क्यो हम दोनों आँखों के बीच में लगाते है , ज्यादतर हमारे हिंदू भाई भगवान भक्ति के नाम से टीका या चंदन लगाते है, हमारे हिंदु भाई इस चंदन द्वारा अपना भगवान के प्रति समरपन को बताने को लगाते है, इसीलिए हमारे भारत में लोग भगवान की भक्ति मे रम कर चंदन लगाते ही है।
हमारे देश में ज्यादातर भगवान के भक्त जब भी मंदिर जाते है, तो चंदन /टीका अपने माथा/सिर पर जरूर लगाते है। लेकिन इस चंदन लगाने के पीछे बहुत बड़ा रहस्य है । क्योकि हमारे पूर्वज बहुत ज्ञानी और वैज्ञानिक थे, जिन्होंने कई प्रयोग करके बहुत से चीजो का अविस्कार किया है। इसी प्रकार इस टीका /चंदन का गहरा रहस्य है।
वह रहस्य यह है , की पहले हमारे पूर्वज कोई भी चंदन नही लगता था, सिर्फ वही लोग लगाते थे, जिनका तीसरा आँख खुल रहा होता था, ऐसे लोग इस चंदन का उपयोग अपने तीसरी आँख को छुपाने (तीसरी आँख को चन्दन द्वारा कपड़ा पहनाते थे) के लिए चंदन का प्रयोग किया करते थे।
क्योकि इस अवस्था में यदि कोई दूसरा व्यक्ति उस तीसरे आँख जागृत व्यक्ति के तीसरे आँख के जगह को देख लेता है, तो वह तीसरी आँख जागृत व्यक्ति विकछिपत् हो जाता है। (मानसिक संतुलन भी वह खो सकता है, वह इस स्थिति में पागल भी हो सकता था)
इसी कारण इस विकछिपत् से बचने के लिए और कोई इस जगह को सीधा ही ना देख सके इसीलिए चंदन लगाया जाता है, जिससे आपका तीसरा आँख कपड़ा पहन लेता है, जिससे किसी के उस स्थान को देखने पर भी कुछ प्रभाव नही पड़ता है। चंदन लगाना कोई अंधविश्वास नही बल्कि पूर्ण वैज्ञानिक और बहुत ही लाभदायक है।
इन्ही सभी कारणों से आपको बिना गुरु के कुंडलिनी जागृत ना करने को कहा जाता है, कई ऐसे सुनने को मिलता है, इसी कारण की कोई कुंडिलिनी जागृत कर रहा था, और पागल हो गया करके, इसीलिए आपको बिना गुरु ऐसा काम नही करना है।
उदाहरण;- यदि आप physics(भौतिकी) में quantam physics को पढ़े होंगे तो आप इस बात को बहुत ही आसानी से समझ सकते है, कि जब वैज्ञानिकों ने प्रयोग किया की :- जब किसी चीज को हम नही देखते है रहते है, तो वह तरंग के रूप में होतो है, लेकिन जब भी हम उस चीज को देखते है, तो अपना रूप बदल देती है। और सॉलिड हो जाती है।
जैसे की कोई घर है, हम जब उस घर को देख रहे है, तब तो वह घर दिख रहा है, लेकिन जब आप नही देख रहे होते है, तब वह तरंग के रूप में होती है, और मै इस चीज को पूर्णतः मानता हूँ। यदि आप quantam physics को नही जानते है तो आपको समझने में थोड़ा दिक्कत हो सकता है।
अब आप तय कर सकते है, देखने(observation) से पदार्थ कि स्थिति पर प्रभाव पड़ जाता है, तो आपके तीसरी आँख पर भी देखने से अवस्य ही प्रभाव पड़ेगा यदि आप जागृत कर रहे होंगे तब।
मुझे तो लगता है, विचार से बनता तरंग और तरंग से बनता है क्वार्क और क्वार्क से बनता है परमाणु, और इस परमाणु से बनता है अणु और इस अणु से बनता है कोई भी पदार्थ।
कई लोग फालतू फेकते रहते है, कि तीसरी आँख जगह चंदन लगाने से तीसरी आँख जागृत हो जाती है, करके ऐसा कैसे हो सकता है, तीसरी आँख ऐसे ही जागृत नही होती भाई, बहुत मेहनत, ध्यान, योग, खाना -पीना, मन (ब्रामहाचारी) को कंट्रोल करना पड़ता है, तब कोई जाकर तीसरा आँख खुलता है।
यदि ऐसे ही सिर्फ टीका लगाने से तीसरी आँख खुल जाए तो फिर आत्मज्ञान हर किसी को प्राप्त हो सकता बहुत ही जल्दी।
मैंने अपने अनुभव में पाया है, की चन्दन/टीका लगाने परम शांति का अनुभव जरूर होता है, थोड़ा समय तक शांति का अनुभव जरूर होता है।
4faq प्रश्न उत्तर।
1. मनुष्य का दुख का कारण क्या है? हम अपने दुख को कैसे कम कर सकते है?
2. क्या सच में स्वर्ग और नर्क होता है? , हम कैसे स्वर्ग और नर्क मे प्रवेश पा सकते है ?
Ans. क्या सच में स्वर्ग और नरक होता है?स्वर्ग और नरक कैसे होते हैं?hindime.
3. हम अपने समझ को कैसे high level पर ले जा सकते है?
4. हम अपने एकाग्रता को कैसे बेहतरीन कर सकते है?
मेरी बातों को इतना ध्यान से पढे मै बहुत ही अनुगृहीत हूँ, मै आपके भीतर बैठे परम पिता परमात्मा को सादर प्रणाम करता हूँ । मेरा प्रणाम स्वीकार करें lधन्यवाद ।
Comment करके अपना प्रेम मुझ तक जरूर भेजे l share करे जिससे सब लोग अपनी जिंदगी बदल सके यार।